उज्जैन के नए निगामायुक्त के बारे में जानिए:आईआईटी, आईआईएम, आईपीएस के बाद बने IAS

उज्जैन के नवागत नगर निगम आयुक्त और 2016 बैच के आईएएस अंशुल गुप्ता की प्रोफाइल देखेंगे तो दंग रह जाएंगे। कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर चुके गुप्ता का अहम सपना था आईएएस बनना। यही वजह रही कि आईआईटी, आईआईएम करने के दौरान वे यूपीएससी की तैयारी भी करते रहे। 2012 में आईपीएस चुने गए। वे एएसपी और एसपी बने, लेकिन फिर भी यूपीएससी की तैयारी करते रहे। चौथे प्रयास में उन्होंने 2016 में देशभर 18वें स्थान पर रहे।

2012 में आईपीएस बनने के बाद सबसे पहले वे उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद फिर मेरठ में एडिशनल एसपी बने। इसके बाद अलीगढ़ के एसपी बने। आईपीएस रहते उत्तर प्रदेश में उन्होंने देश की साइबर क्राइम कैपिटल जामतारा में कई साइबर रैकेट का भंडाफोड़ किया है।

अंशुल गुप्ता ने 2001 से 2006 के बीच खड़गपुर आईआईटी से पहले बीटेक फिर एमटेक किया। इसके बाद 2007 में बैंगलुरु से आईआईएम किया। इसके बाद से ही गुप्ता ने आईएएस की तैयारी शुरू कर दी थी। इस दौरान उन्होंने कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया। विप्रो, एलएंडटी, एडेल्विस केपिटल, स्मार्टब्रिज, गोल्डमेन साक्स, एक्सेंचर मैनेजमेंट कंसलटेंट जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों में काम किया। 2012 में आईपीएस वे आईपीएस बने। गुप्ता ने पुलिस इन मॉडर्न इंडिया कोर्स में टॉप किया। वे मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ में रहते हुए पुलिसिंग के साथ भी यूपीएससी की तैयारी करते रहे।

2016 में आईएएस बनने के बाद उन्हें मप्र कैडर मिला। वे मप्र में सीएमओ, एसडीएम और आदिवासी विकास विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर रहे। गुप्ता जबलपुर स्मार्ट सिटी के सीईओ भी रहे। यहां से वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय में चले गए। जहां वे असिस्टेंट सेक्रेटरी रहे। 2018 में वे फिर मप्र में आए और धार जिले के कुक्षी और इंदौर जिले के महू में एसडीएम रहे। मई 2020 से वे उमरिया में जिला पंचायत में सीईओ हैं।

ऐसे बने आईएएस –

मूल रूप से इंदौर निवासी अंशुल गुप्ता के पिता अशोक कुमार गुप्ता सरकारी जॉब में थे। उनकी स्कूलिंग सराफा विद्या निकेतन में हुई है। दो बहनों के बीच इकलौते होने के कारण मां का खास स्नेह मिला। आईआईटी से बीटेक और एमटेक करने के बाद आईआईएम किया। इस दौरान देश और समाज के लिए कुछ करने के लिए आईएएस बनने का सपना देखा। तभी से लगातार यूपीएससी की तैयारी शुरू की और 2012 में आईपीएस बन भी गए। मगर सपना आईएएस बनने का था, इसलिए तैयारी जारी रखी। चौथे प्रयास में 2016 में टॉप-20 में रहकर अठारहवें स्थान पर आकर वे आईएएस बने।

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