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दूल्हा बने भगवान महाकाल,प्रवेश द्वारों पर जड़े ताले, पांच घंटे दर्शन बंद
उज्जैन। महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर दूल्हा बने भगवान महाकाल को जब पुजारियों द्वारा सेहरा धारण कराया गया तो भगवान के दिव्य दर्शन कर भक्त भी धन्य हो गए। बीती शाम से प्रारंभ हुए सेहरे के दर्शन मंगलवार सुबह 10 बजे तक जारी रहे।
इस दौरान मंदिर समिति और पुलिस द्वारा सुबह 9 बजे से भस्मारती की तैयारी के लिये मंदिर प्रांगण खाली कराना शुरू कर दिया गया और 10 बजे अनाउंसमेंट के साथ ही सारे प्रवेश द्वारों पर ताले लगा दिये गये। आम श्रद्धालुओं के दर्शन दोपहर 2 बजे तक प्रतिबंधित कर दिये गये जिस कारण लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ा।
सामान्य दर्शन रोकने से बिगड़ी व्यवस्था
वर्ष में एक बार भगवान महाकाल की भस्मारती शिवरात्रि के दूसरे दिन दोपहर में होती है। आज सुबह सैकड़ों श्रद्धालु भगवान महाकालेश्वर के सेहरा शृगार दर्शन कर रहे थे और 9 बजे के करीब आम श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश रोकने के साथ ही मंदिर में मौजूद श्रद्धालुओं को बाहर निकालने का क्रम शुरू हुआ। करीब 10 बजे मंदिर के सभी प्रवेश द्वारों पर ताले लगाकर पुलिस अधिकारियों को तैनात कर दिया गया। सामान्य दर्शनार्थियों द्वारा मंदिर में प्रवेश रोकने पर विरोध दर्ज कराया गया।
चलित भस्मारती दर्शन हो सकता था विकल्प
महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े पुजारियों व कर्मचारियों ने चर्चा में बताया भस्मारती के लिये मंदिर परिसर खाली कराना और आम श्रद्धालुओं के दर्शनों को ५ घंटे तक रोकने के स्थान पर प्रशासन को चलित भस्मारती दर्शन व्यवस्था करना थी ताकि आम श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े। ऐसी व्यवस्था सिंहस्थ महापर्व के दौरान की गई थी।
दर्शनार्थियों को मिले पास
मंदिर समिति की ओर से भस्मारती दर्शन के लिये करीब 1100 लोगों को अनुमति दी है। खास बात यह कि भस्मारती दर्शन के लिये इस बार मंदिर समिति द्वारा पास वितरित किये गये हैं। नंदीगृह, कार्तिकेय, गणेश मंडप में बैठकर दर्शन करने वालों को गले में यह पास डालना अनिवार्य किया गया था। मंदिर समिति ने करीब 1200 पास तैयार करवाए।
रातभर गूंजे विवाह के मंगल गीत
भगवान महाकाल के विवाहोत्सव में शामिल भक्तों ने पूरी रात जागरण करते हुए विवाह के मंगल गीत गाये और नृत्य भी किया। सेहरा धारण किये दूल्हा बने महाकाल को निहारने के लिये रातभर दर्शनों का सिलसिला जारी रहा। मंदिर में प्रतिदिन दर्शन करने आने वाली महिलाए मंगल गीत गाते हुए नृत्य करती रहीं।
ऐसे बना फूलों का सेहरा
भगवान महाकालेश्वर को सवा क्विंटल विभिन्न प्रकार के फूलों का सेहरा पुजारियों द्वारा धारण कराया गया। इसके अलावा सप्त धान्य मुखौटा और राजसी पगड़ी भी भगवान महाकाल को धारण कराई गई। इससे पहले भगवान का केसर, चंदन का उबटन लगाने की विधि भी पुजारियों द्वारा सम्पन्न करवाई गई थी। इसके अलावा फूलों को इस क्रम में सजाया कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे की छवि बन गई। भस्मारती के 30 मिनट बाद भोग आरती
शासकीय पुजारी पं. आशीष शर्मा ने बताया सप्तधान्य मुखौटा शृंगार के साथ महाकाल को सवा क्विंटल फूलों का सेहरा सजाया गया। दोपहर 12 से 2 बजे तक भस्मारती के बाद दोपहर 2.30 बजे भोग आरती होगी। इसके बाद ब्राह्मणों का पारणा भोजन होगा।