नर्मदा का पानी आने के बाद भी प्रदूषित ही रहेगी शिप्रा

सूर्यग्रहण २६ को : मोक्ष काल स्नान के लिये प्रशासन ने फव्वारे लगाने का काम शुरू किया

उज्जैनदो दिन बाद होने वाले सूर्यग्रहण के बाद हजारों लोग शिप्रा नदी में मोक्षकाल का स्नान करने पहुंचेंगे। नदी के घाटों पर होने वाले स्नान के मद्देनजर प्रशासन द्वारा फव्वारे लगाने और सफाई के साथ अन्य व्यवस्थाएं जुटाना शुरू किया गया है। खास बात यह कि शिप्रा नदी में अब भी दूषित और बदबूदार पानी मौजूद है। इस कारण लोगों का नदी में डुबकी लगाना मुश्किल नजर आ रहा है।

पिछले पर्व स्नान के दौरान भी शिप्रा नदी में खान का दूषित व बदबूदार पानी मौजूद था और प्रशासन द्वारा लोगों को स्नान के लिये शिप्रा आरती द्वार, रामघाट और सुनहरी घाट की तरफ फव्वारे लगाये थे जिन्हें बोरिंग से जोड़कर चलाया गया था। अधिकारियों ने दावा किया था कि अगले पर्व स्नान से पहले शिप्रा नदी में मौजूद खान नदी के गंदे पानी को बहाकर उसमें नर्मदा का स्वच्छ पानी छोड़ दिया जायेगा, लेकिन वर्तमान में नदी के गंदे पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है।

त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक शिप्रा नदी में खान का पानी मौजूद है, जिसे स्टापडेम के गेट खोलकर बहाने का प्रयास भी किया गया।
अब अधिकारियों द्वारा देवास स्थित शिप्रा बैराज से नदी व पाइप लाइन के माध्यम से शिप्रा नदी में नर्मदा का साफ पानी छोडऩे का दावा किया जा रहा है, लेकिन अधिकारियों को भी शिप्रा का पानी स्वच्छ होने का भरोसा नहीं इसी कारण 26 दिसंबर को होने वाले सूर्यग्रहण के बाद मोक्ष
काल स्नान की तैयारियों के मद्देनजर घाटों पर पुन: फव्वारे लगाये जा रहे हैं।

सुबह पीएचई अधिकारियों के निर्देशन में शिप्रा आरती द्वार, रामघाट और सुनहरी घाट पर फव्वारे लगाने का काम शुरू हुआ।दीवारों के पेड़ों की कटाईराणोजी की छत्री की दीवार पर पीपल व अन्य पेड़ उग आए थे जिन्हें नगर निगम की टीम द्वारा काटा गया साथ ही घाट की सीढिय़ों की घिसाई कर काई निकालने का काम शुरू हुआ।

सूर्यग्रहण के बाद होने वाले स्नान को लेकर कलेक्टर द्वारा सभी विभागों के अधिकारियों को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये आवश्यक व्यवस्थाएं करने के निर्देश एक दिन पहले ही दिये गये हैं।

 

दोपहर १२ बजे बाद होगी भात पूजा

२६ दिसंबर को सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद श्रद्धालु स्नान के लिए शिप्रा तट पर पहुंचेंगे। प्रमुख मंदिरों में भी आरती-पूजन आदि का समय बदल दिया गया है। अंगारेश्वर के पुजारी पंडित मनीष उपाध्याय ने बताया कि भात पूजा दोपहर १२ बजे बाद प्रारंभ की जाएगी। कल २५ दिसंबर की रात ८ बजे से दूसरे दिन २६ दिसंबर की दोपहर १२ बजे तक गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा।

 

मंगलनाथ मंदिर

इधर मंगलनाथ मंदिर प्रशासक नरेन्द्रसिंह राठौर के अनुसार 26 दिसंबर को पौषी अमावस्या पर सूर्य ग्रहण है। मंदिर की परंपरा अनुसार ग्रहण के वेदकाल में लिंग का स्पर्श नहीं होता है। ऐसे में 25 दिसंबर को मध्यरात्रि के बाद से 26 दिसंबर को सुबह 11 बजे ग्रहण मोक्ष तक मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा। इसके बाद मंदिर को धोकर शुद्ध किया जाएगा। पश्चात मंगला आरती कर दोपहर करीब 12.30 बजे भातपूजा का सिलसिला शुरू किया जाएगा।

 

धनु राशि में रहेंगे 6 ग्रह 

ज्योतिषियों ने बताया कि सूर्य ग्रहण मूल नक्षत्र और धनु राशि में होगा। ग्रहण के समय सूर्य, बुध, गुरु, शनि, चंद्र और केतु धनु राशि में एक साथ रहेंगे। सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व से माना जाता है। कल 25 दिसंबर की रात 8 बजे से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष के साथ समाप्त होगा।

 

२ घंटे ५२ मिनट का ग्रहण काल

ज्योतिषियों ने बताया २६ दिसंबर को सूर्य ग्रहण का ग्रहण काल २ घंटे ५२ मिनट तक रहेगा। सुबह यह 8.04 बजे से शुरू होगा और मोक्षकाल सुबह 10.56 बजे रहेगा।

Leave a Comment