- फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी पति राज कुंद्रा के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची, शिव जाप कर करीब आधे घंटे तक भगवान महाकाल की आराधना की।
- 66वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह का समापन आज: एक सांस्कृतिक गौरव; उच्च शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार और मंत्री चैतन्य काश्यप होंगे शामिल, 10 कलाकारों को किया जाएगा सम्मानित
- भस्म आरती: चंद्र के साथ त्रिशूल त्रिपुण्ड से राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, चारों ओर गूंजे जय श्री महाकाल के जयकारे
- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, धारण की शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला
- भगवान महाकाल को दान में आई अनोखी भेंट! भक्त ने गुप्त दान में चढ़ाई अमेरिकी डॉलर की माला, तीन फीट लंबी माला में है 200 से अधिक अमेरिकन डॉलर के नोट
बाजार वसूली को लेकर सख्त हुए नगर निगम आयुक्त, नकेल कसना शुरू…
10 सालों में बाजार का क्षेत्र, फुटकर-ठेले वालों की संख्या बढ़ी, वसूली नहीं
उज्जैन।नगर निगम को आर्थिक संकट से उभारने के लिए आयुक्त अब एक्शन मोड़ पर आ गए है। निगम के राजस्व एवं अन्यकर विभाग की मैराथन बैठक लेकर बकाया वसूली की समीक्षा के बाद अमले को निर्देशित किया कि निगम की नियम अनुसार वसूली हर हाल में की जाए। इसके लिए कमजोर रवैया स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नगर निगम वसूली में पिछडऩे की वजह से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने निगम के राजस्व अमले को एक साथ बैठाकर बकाया राशि के संबंध में पड़ताल की। इसमें सम्पत्ति, जल कर, की वसूली के अलावा लंबे समय से प्रावधान अनुरूप बाजार वसूली नहीं होने पर नाराजगी जाहिर की। करीब चार घंटे चली बैठक में बाजार वसूली पर आयुक्त ने कहा कि पिछले दो सालों में अगर शहर में व्यापारियों की संख्या बढ़ी है तो वसूली स्थिर क्यों ? इसके साथ ही आयुक्त गुप्ता ने अपने कार्य के प्रति उदासीन रवैया अपनाने और जिम्मेदारी नहीं बरतने वाले कर्मचारियों की काफी पड़ताल भी की।
दरअसल, नगर निगम की कमजोर आर्थिक स्थिति के पीछे एक बड़ा कारण बाजार वसूली की गड़बड़ी का गणित भी सामने आ रहा है। निगम के ही आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन से पहले शहर के फुटकर व ठेला व्यापारियों से रोजाना औसतन २५ हजार रुपए तक बाजार वसूली होती थी। यानी फुटकर व ठेला व्यापारियों की संख्या 2५00 तक होती थी। जो अब तीन गुना तक बढ़ गई है। लेकिन बाजार वसूली उस तुलना में नहीं बढ़ पाई। वसूली का आंकड़ा दोगुना तक भी नहीं बढ़ा, रोजाना औसतन 40 हजार रुपए तक ही सिमट कर रह गया है। तथ्यों व आंकड़ों की जांच की और कहा कि जितनी बाजार वसूली होना चाहिए उतनी नहीं की जा रही है या वसूली की भी जा रही है तो वह निगम के खजाने में जमा नहीं हो रही है।
यह है वसूली का सच…सूत्रों की माने तो नगर निगम की बाजार वसूली की टीम शहर के फुटकर और फेरी व ठेले वाले व्यापारियों से रोज 10, 15, 20 रुपए तक वसूलते है। वहीं अवैध गुमटी वालों से 50 रुपए तक वसूली करते है। लेकिन यह राशि नगर निगम के खाते में जमा नहीं हो पाती है। इसी के चलते उज्जैन शहर में बाजार वसूली का आकड़ा व्यापारी और ठेले फुटकर वालों की बढ़ी हुई संख्या की तुलना में हमेशा ही कम होता है। निगम आयुक्त गुप्ता ने अपनी समीक्षा में इस बात को गंभीरता से लिया और लक्ष्य अनुरूप वसूली करने के निर्देश दिए है।
इनका कहना है:हां, मीटिंग के दौरान नगर निगम आयुक्त ने समीक्षा कर नियमानुसार और लक्ष्य अनुरूप बाजार वसूली बढ़ाने के निर्देश
दिए है।