60/84 श्री मातंगेश्वर महादेव

60/84 श्री मातंगेश्वर महादेव

60/84 श्री मातंगेश्वर महादेव द्वापर युग में एक ब्राम्हण थे सुगती। उनके यहां मतंग नामक पुत्र का जन्म हुआ। बालक अवस्था में ही मतंग क्रूर स्वभाव का हुआ। एक बार बालक मतंग अपी माता की गोद में बैठकर लकडी से अपने पिता को मार रहा था। पास खड़ी एक गर्दभी ने उससे कहा कि यह चांड़ाल नही, यह ब्राम्हण है। गर्दभी के वचन सुनकर बालक ने उससे कहा कि मुझे बताओं कि मै चांडाल कैसे…

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61/84 श्री सौभाग्येश्वर महादेव

61/84 श्री सौभाग्येश्वर महादेव

61/84 श्री सौभाग्येश्वर महादेव काफी समय पहले अश्वाहन नामक एक राजा हुआ करते थे। राजा धर्मात्मा ओर किर्तिवर्धन थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी रहती थी। उनकी पत्नी थी काशी राजा की पुत्री मदन मंजरी। वह भी अत्यंत सुंदर ओर गृहकार्य में निपुण थी। पति का हित चाहने वाली व धर्मात्मा थी। पूर्व कर्म के कारण वह दुर्भगा थी। राजा अश्वाहन को वह प्रिय नहीं थी। रानी के स्पर्श मात्र से राजा का शरीर जलने…

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62/84 श्री रुपेश्वर महादेव

62/84 श्री रुपेश्वर महादेव

62/84 श्री रुपेश्वर महादेव प्राचीन काल में राजा थे पद्य। वे महापराक्रमी ओर धर्मनिष्ठ थे। एक बार राजा अपनी सेना के साथ शिकार करने के लिए वन में गया। वहां एक मृग का पीछा करते हुए दूसरे वन में चला गया। प्यास से व्याकुल राजा एक आश्रम में पहुंच गया। यहां राजा को देख मुनि कन्या सामने आई और राजा का आदर सत्कार किया। राजा ने उससे पूछा यह किसका आश्रम है और तुम कौन…

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63/84 श्री धनुः साहस्त्रेश्वर महादेव

63/84 श्री धनुः साहस्त्रेश्वर महादेव

63/84 श्री धनुः साहस्त्रेश्वर महादेव काफी समय पहले एक राजा थे विदूरथ। उनके दो पुत्र थे सुनीति ओर सुमति। एक बार राजा शिकार करने के लिए वन में गए। वहां उन्होने एक बडा गढ्ढा देखा, उसे आश्चर्य हुआ। तभी वहां एक तपस्वी आए ओर उन्होने बताया कि यहां से रसातल में रहने वाला कुंजभ नाम का दानव आता-जाता है। आप उसका वध करो। राजा अपने महल लौटा ओर वहां उसने आपने पुत्रों ओर मंत्रियों से…

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64/84 श्री पशुपतेश्वर महादेव

64/84 श्री पशुपतेश्वर महादेव

64/84 श्री पशुपतेश्वर महादेव प्राचीन समय में एक राजा थे पशुपाल। वे परम धर्मात्मा और पशु के पालन में विशेष ध्यान रखते थे। एक बार राजा समुद्र के किनारे गए ओर उन्होने वहां पांच पुरूषों ओर एक स्त्री को देखा। राजा उन्हे देख मुर्छित हो गया। वे पांचों पुरूष ओर स्त्री उसे घर ले आए। राजा जब होश में आया तो उसने उनसे युद्ध किया। इस बीच पांच पुरूष और आ गए। राजा उनमें से…

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65/84 श्री ब्रम्हेश्वर महादेव

65/84 श्री ब्रम्हेश्वर महादेव

65/84 श्री ब्रम्हेश्वर महादेव पंच षष्टिक सख्याकं विद्धि ब्रह्मेश्वरं प्रिये । यस्य दर्शन मात्रेण ब्रह्मलोको ह्यवाप्यते ।। प्राचीन काल में पुलोमा नाम का दैत्य बड़ा बलिष्ठ व पराक्रमी हुआ। यहाँ तक कि जैसे लोग देवता इन्द्र का पूजन करते हैं। वैसे दैत्यों से वह पूजित था। एक बार देवताओं से युद्ध के लिए क्षीर समुद्र पर गया, वहाँ भगवान शेष शैया पर सो रहे थे। दैत्य को देख नाभि कमल पर बैठे ब्रह्मा घबरा गए।…

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66/84 श्री जल्पेश्वर महादेव

66/84 श्री जल्पेश्वर महादेव

66/84 श्री जल्पेश्वर महादेव सालों पहले जल्प नाम का राजा हुआ। वह तेजस्वी था। उसके पांच पुत्र सुबाहु, शत्रुमहि, जय, विजय ओर विक्रांत थे। राजा ने पूर्व दिशा का राज्य सुबाहू, दक्षिण का शत्रुमहि, पश्चिम दिशा का जय ओर उत्तर दिशा का विजय ओर मध्य का विक्रांत को दिया ओर खुद तपस्या करने चला गया। इधर विक्रांत ने मंत्री के कहने पर चारों भाईयो के राज्य पर अधिकार कर लिया ओर सभी का वध कर…

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67/84 श्री केदारेश्वर महादेव

67/84 श्री केदारेश्वर महादेव

67/84 श्री केदारेश्वर महादेव सृष्टि की स्थापना के समय हिम युग से सभी देवी-देवता परेशान हो गए ओर शीत पीडा से परेशान होकर वे ब्रम्हा की शरण में गए। ब्रम्हा के समाने देवताओं ने स्तुति करते हुए कहा हम हिमाद्रि पर्वत से पीडित होकर आपकी शरण में आए है। यह सुनकर ब्रम्हा ने कहा कि हिमालय पर्वत पर तो भगवान शंकर के असुर रहते है। इस परेशानी का हल तो भगवान शंकर ही करेगें। इसके…

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68/84 श्री पिशाचमुक्तेश्वर महादेव

68/84 श्री पिशाचमुक्तेश्वर महादेव

68/84 श्री पिशाचमुक्तेश्वर महादेव कलियुग में सोमा नाम का शूद्र हुअ करता था। धनवान होने के साथ ही सोमा नास्तिक था। वह हमेशा वेदों की निंदा करता था। उसको संतान नहीं थी। सोमा हमेशा हिंसावृत्ति में रहकर अपना जीवन व्यतीत करता था। इसी स्वभाव के कारण सोमा कष्ट के साथ मरण को प्राप्त हुआ। इसके बाद सोमा पिशाच्य योनि को प्राप्त हुआ। नग्न शरीर ओर भयावह आकृति वाला पिशाच्य मार्गो पर खड़े होकर लोगो को…

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69/84 श्री संगमेश्वर महादेव

69/84 श्री संगमेश्वर महादेव

69/84 श्री संगमेश्वर महादेव बहुत पुरानी बात है। कलिंग देश में सुबाहू नाम के राजा हुआ करते थे। उनकी पत्नी दृढधन्वा (कांचीपुरी के राजा) की कन्या विशालाक्षी नाम की थी। दोनो परस्पर प्रेम से रहते थे। राजा को माथे मे दोपहर में रोज पीडा हुआ करती थी। निपुण वैद्यों ने ओषधियां दी किन्तु पीडा दूर नही हुई। रानी ने राजा से पीडा का कारण पूछा। राजा ने रानी को दुखी देखकर कहा, पूर्व जन्म में…

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